वाराणसी, नवम्बर 20 -- वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। ईश्वर के प्रति प्रेम, श्रद्धा, समर्पण और सेवा का भाव ही भक्ति है। यह केवल पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। वृन्दावन गोरीलाल कुंज श्रीधाम के महंत स्वामी किशोरदास देव ने बुधवार को दुर्गाकुंड स्थित अंधविद्यालय में भक्तमाल कथा में ये विचार रखे। संकटमोचन संकीर्तन मंडल की ओर से आयोजित कथा के तीसरे दिन उन्होंने कहा कि श्रीभक्तमाल ग्रंथ के रचयिता नाभादास महाराज ने चारों युगों के भक्तों की शृंखला को इसमें समाहित किया है। इसका उद्देश्य ईश्वर के साथ गहरा, आंतरिक और आध्यात्मिक संबंध बनाना है, जिससे मन शांत और स्थिर होता है। उन्होंने कहा कि मानसिक पूजा एक आध्यात्मिक अभ्यास है। जिसमें भक्त अपने मन और कल्पना से अपने इष्टदेव की पूजा करते हैं। इसमें भौतिक सामग्री के बजाय भक्त भगवान को मानसिक...