लखनऊ, मई 2 -- लखनऊ, संवाददाता। प्राचीन समय में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की जीडीपी, व्यापार और निवेश में 25 से 30 फीसदी योगदान देती थी। भारत का व्यापार 60 से अधिक देशों के साथ था, इसीलिए भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। हमें चीन, अमेरिका और फ्रांस देशों की तरह भारत को विकसित नहीं बनाना है, बल्कि हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जहां शांति, विश्व बंधुत्व और भाईचारा देखने को मिले। यह बातें बीबीएयू के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने व्याख्यानमाला का उद्गाटन करते हुए कहीं। उन्होंने 'सामाजिक आर्थिक विकास के लिए भारत का एजेंडा विषय पर व्याख्यान दिया। कहा कि देश आजादी की लड़ाई के बाद लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए संघर्ष कर रहा है। फिलहाल अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी के लिए शिक्षा, कृषि, तकनीकी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, साझेदारी आ...