वाराणसी, फरवरी 12 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में अनुसंधान के गूढ़ तत्व निहित हैं। अर्थशास्त्र, मनुस्मृति, महाभारत, गीता आदि ऐसे ग्रंथ हैं। ये बातें विषय विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत धर्माधिकारी ने मंगलवार को बीएचयू के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग में महामहोपाध्याय पं. गजानन शास्त्री मुसलगांवकर स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता कहीं। उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन ग्रंथों में अनुसंधान की जो प्रविधियां वर्णित हैं वे आज के समय में भी अनुसंधान के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनकी उपयोगिता सर्वकालिक है। कोई भी देश, काल और परिस्थिति हो यह प्रविधियां उनपर पूर्ण रूप से लागू होती हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में बीएचूय के प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान से न केवल विद्वानों को अपितु अनुसंधानकर्ताओं को भी नई दिशा प्राप...