सिमडेगा, अगस्त 7 -- सिमडेगा, प्रतिनिधि। जिले में हर साल बारिश, आंधी और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाएं दर्जनों गांवों में तबाही मचाती हैं। लेकिन सबसे बड़ी चिंता राहत प्रक्रिया को लेकर है। जो वर्षों से कछुए की रफ्तार से ही चलती आ रही है। प्राकृतिक आपदा से संपत्ति के साथ प्रभावितों का आत्मसम्मान और सामाजिक सुरक्षा भी छीन जाती है। महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है और बुज़ुर्ग इलाज के अभाव में असहाय हो जाते हैं। इसके बाद भी जंगली इलाकों में बसे प्राकृतिक आपदा के प्रभावित परिवारों को न तो समय पर सहायता मिलती है और न ही सिर छुपाने के लिए छत। इस साल जून-जुलाई में हुई भारी बारिश और तेज़ आंधी ने कई गांवों में कच्चे घर गिर गए। लेकिन पीड़ितों को आज भी न रहने की व्यवस्था मिली, न मुआवजा राशि। स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाने के ब...