देहरादून, मई 13 -- गीता भवन में मंगलवार को कथा के दूसरे दिन स्वामी मैथलीशरण ने कहा कि बिना पवित्र मन:स्थिति और बिना निर्विकारता के न तो कथा समझ आएगी और न ही भगवान की लीला का तत्त्व ही ग्रहण हो सकेगा। उन्होंने शिव कथा और राम कथा का महत्व भी समझाया। कथा व्यास स्वामी मैथलीशरण ने कहा कि भगवान शिव का तीसरा नेत्र संहार तो करता है पर वही नेत्र काम को तो जलाकर भस्म करता है और राम को देखकर धन्य हो जाता है। पार्वती श्रद्धा है जो विश्वास रूप शिव में शिवत्त्व देखती हैं। सप्तर्षियों के यह कहे जाने पर कि शंकर जी ने विवाह के अभीष्ट काम को जला दिया तो उत्तर में भगवती उमा ने कहा कि आपकी दृष्टि से शिव ने काम को जलाया और अभी तक शिव विकारी थे पर मेरी दृष्टि से वे सदा शिव हैं। उनमें विकार कभी होता ही नहीं है। मैं शिव से किसी पुनर्विषय की इच्छा से विवाह कर ही ...