नई दिल्ली, जून 19 -- भारत और कनाडा के रिश्तों में बीते कुछ वर्षों में जो कड़वाहट आई थी, उसका मुख्य कारण खालिस्तानी अलगाववादियों को लेकर कनाडा की उदासीनता रही। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में वहां खालिस्तानी गतिविधियों को नजरअंदाज किया गया, जिससे भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए। इसी कारण दोनों देशों के संबंधों में दरार आ गई और राजनयिक स्तर पर संवाद सीमित होता गया। हालांकि, अब कनाडा में नई सरकार और प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद रिश्तों में नया मोड़ आया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कार्नी की मुलाकात ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं। दोनों देश एक बार फिर राजनयिक रिश्तों को पूरी तरह बहाल करने पर सहमत हुए हैं, जो एक स्वागत के योग्य कदम है। भारत को जो सबसे ठोस लाभ...