नई दिल्ली, अगस्त 7 -- उत्तराखंड के धरौली में बादल फटने के कारण जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। दिल दहलाने वाली इस आपदा ने साफ बता दिया है कि अंधाधुंध दोहन से प्रकृति का रौद्र रूप सामने आता है, जो तबाही लाता है। इसने आगाह किया है कि हमें अनियोजित और अंधाधुंध विकास से अब बचना ही होगा। हिमाचल हो या उत्तराखंड, नदियों के डूब क्षेत्र में होटल और रिजॉर्ट्स का निर्माण व व्यावसायीकरण से भारी तबाही देखने को मिलती रही है। ऐसे में, जरूरत यही है कि पहाड़ों में बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण-कार्यों पर रोक लगनी चाहिए। इस आपदा से पहाड़ी राज्य की सरकारों को जरूर सबक लेना चाहिए। इसी तरह, मौसम विभाग को भी अधिक सक्रियता दिखानी होगी और समय रहते बादल फटने जैसी घटनाओं की जानकारी संबंधित विभागों से साझा करनी होगी। यानी, हमें दोनों मोर्चों पर काम करना होगा। एक तरफ...