कन्नौज, अप्रैल 21 -- कन्नौज, संवाददाता। आज आधुनिकता की दौड़ में हरियाली लगातार कम होती जा रही है। बढ़ती आबादी के बीच औद्योगीकरण व शहरीकरण से प्रदूषण की दिक्कत बढ़ रही है। प्रदूषित वातावरण हमारी धरा की सेहत को बिगाड़ रहा है। लगातार बढ़ती आबादी और उसके दुष्प्रभावों को हमारी धरा बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। गंभीर बात यह है कि मुख्य विकास प्राकृतिक संसाधनों की कीमत पर हो रहा है। इससे कार्बन डाई आक्साइड जैसी जहरीली का उत्सर्जन तो तेजी से बढ़ा है लेकिन उनको अवशोषित करने के लिए पेड़-पौधों की लगातार कमी होती जा रही है। यही वजह है कि हमारा प्राकृतिक संतुलन लगातार कमजोर हो रहा है। इसके परिणाम भी प्राकृतिक असंतुलन और आपदा के साथ ही क्लाईमेट चेंज के रूप में देखने को मिलने लगे हैं। हाल यह है कि हरियाली की चादर कम होने के साथ ही पृथ्वी भी प्रभावित हो रही ...
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