नई दिल्ली, मार्च 1 -- कामकाजी दुनिया में एक समान पोस्ट पर काम करने के बावजूद भी दुनिया भर में पुरुष और महिलाओं के वेतन में जमीन-आसमान का अंतर होता है। इसे जेंडर-पे-गैप कहा जाता है और इससे आप वाकिफ भी होंगी। पर, क्या आप यह जानती हैं कि दुनिया भर की महिलाएं जेंडर-पेन-गैप से भी जूझ रही हैं। यानी जिस डॉक्टर के पास हम अपनी समस्या का हल पाने की आस लेकर जाते हैं, वे ही महिलाओं को होने वाले दर्द को गंभीरता से नहीं लेते हैं। विभिन्न अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि हॉस्पिटल के स्टाफ महिलाओं द्वारा दर्द की शिकायत को गंभीरता से नहीं लेते, उनके ट्रीटमेंट में अपेक्षाकृत कम वक्त देते हैं और उन्हें होने वाले शारीरिक दर्द को कई बार उनकी भावुकता से जोड़ देते हैं। कई बार महिलाओं को होने वाले दर्द को लेकर एक्सपर्ट का यह रवैया पीसीओएस या एंडोमेट्रियोसिस जैस...