कुशीनगर, मार्च 5 -- कुशीनगर। होली पर्व पर बहुत पहले खुले में रंग व अबीर की बिक्री होती थी। इससे मिलावट की संभावना अधिक होती थी। धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता होने के कारण अधिकांश लोग ब्रांडेड सामानों की खरीदारी पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ज्यादा पुराना अबीर, गुलाल व रंग होने के कारण उनका कलर चढने में कमी होती है। एक एक्सपर्ट ने बताया कि गुलाल को ज्यादा चमकदार बनाने के लिए लेड का उपयोग होता है, जिससे लाल, पीले और हरे रंग बनाए जाते हैं। लेड अधिकतम मात्रा में और आसानी से उपलब्ध हो जाता है, हालांकि कॉपर मर्करी सिंथेटिक भी मिलाया जाता है। इसको जांच करने के लिए बहुत आसानी तरीका है। पोटैशियम आयोडाइड, डिपेनिलकार्बाजाइड, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड, यूरेथियम आदि से जांच करने किया जा सकता है। बताया कि गुलाल के नमूने को पानी में घोलें और उसमें कुछ बूंदें पोट...