नई दिल्ली, सितम्बर 10 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2012 के पुणे विस्फोट मामले में एक आरोपी को लंबे समय से जेल में बंद होने और मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए जमानत दे दी। न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि आवेदक फारूक बागवान 12 साल से अधिक समय से जेल में है और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना बहुत कम है। हाईकोर्ट ने कहा कि 170 गवाहों में से वर्तमान में केवल 27 की ही निचली अदालत में गवाही दर्ज हुई है। इसके अलावा, वर्तमान अपराध के अलावा बागवान का कोई अन्य आपराधिक इतिहास नहीं है। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की संभावना बहुत कम है। पीठ ने बागवान को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।
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