बेगुसराय, सितम्बर 5 -- गढ़पुरा, एक संवाददाता। पितरों को तृप्त करना ही तर्पण है। जल में सारे तत्व विद्यमान हैं। इसीलिए तर्पण में इसकी महत्ता ज्यादा है। कहा गया है कि अश्विन प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पितृ पक्ष होता है। इसे महालया कहा जाता है। इस अवधि में हमारे पितर धरती पर उतरते हैं। पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण को चुकाने के लिए भी तर्पण जरूरी है। ग्रंथों में कहा गया है कि सुखी और शांत जीवन निर्वाह के लिए तर्पण जरूरी है। सबसे पहले देवताओं को, फिर ऋषि मुनि को और उसके बाद पितरों को तर्पण श्रद्धा अर्पित करने का विधान है। गढ़पुरा निवासी पंडित प्रकाश मिश्र ने बताया कि रविवार को अगस्त मुनि का तर्पण काश के फूलों से किया जाएगा और सोमवार से पितरों का तर्पण आरंभ हो जाएगा जो एक पखवाड़े यानी इक्कीस सितंबर तक चलेगा। इधर, बड़ी संख्या में लोग अपने पितरों ...
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