देवघर, सितम्बर 8 -- सोमवार को पितृपक्ष प्रारंभ हो गया। देवताओं, ऋषियों या पितरों को चावल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया तर्पण कहलाती है। पंचमंदिर रोड़ अवस्थित अमर कैलाश त्रिपुरधाम मंदिर के पुजारी पंडित कौशलेश मिश्रा कहते हैं यज्ञ अग्नि का ईंधन श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है। इसे महालय और पितृपक्ष भी कहते हैं। श्राद्ध की महिमा और विधि का वर्णन विष्णु, वायु, वराह, मत्स्य आदि पुराणों एवं महाभारत, मनुस्मृति आदि शास्त्रों में यथास्थान किया गया है। श्राद्ध का अर्थ अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और इष्ट के प्रति श्रद्धा रखना है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो स्वजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं चाहे वे किसी भी रूप में अथवा किसी भी लोक में हों, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता...