बरेली, अक्टूबर 3 -- बरेली। नवरात्र दशहरा के बाद एकादशी का भी विशेष महत्व माना जाता है। वैसे तो वर्ष में 24 एकादशी आती हैं, लेकिन अश्विन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी पापांकुशा एकादशी कहलाती है। इस एकादशी में व्रत-उपवास कीर्तन इत्यादि करने से समस्त पापो का प्रयाश्चित सहजता से हो जाता है। शुक्रवार को एकादशी भी बहुत खास रही क्योंकि इस एकादशी पर वृद्धि योग बना था। जिस कारण भक्तों ने बड़े उत्साह उमंग के साथ व्रत-उपवास और कीर्तन किये। मंदिर को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया गया था। कीर्तन मंडली ने धूमधाम उत्साह उमंग और पूर्ण आनंद के साथ कीर्तन किया। इस मौके पर मंदिर के महंत सुशील पाठक, अंकुर कक्कड़, अंकुश अग्रवाल, पवन मौर्य, विपिन कश्यप, भगवान दास, रामबहादुर प्रजापति, इन्द्रेश आदि रहे।

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