विधि संवाददाता, अगस्त 21 -- पटना हाईकोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी पर कहा कि पति पहले अपनी पत्नी की देखभाल करें। भाइयों को आश्रित नहीं माना जा सकता। इसके अलावा दिवंगत बहन की बेटी की देखभाल करना एक पवित्र दायित्व हो सकता है, लेकिन यह वैधानिक दायित्व नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की पीठ ने आवेदक पति चंदन पासवान की अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पति का पहला दायित्व पत्नी का देखभाल करना है। उसके बाद ही रिश्तेदारों के नम्बर आता है। आवेदक आरपीएफ में कांस्टेबल हैं। सभी कटौतियों के बाद उन्हें बतौर वेतन लगभग 41,000 रुपये मिलते हैं। पत्नी ने अपने भरण-पोषण के लिए गया जी के परिवार न्यायालय में वाद दायर किया था। न्यायालय ने पति को प्रत्येक माह पत्नी को 12,000 रुपए प्रति भुगतान करने...