फरीदाबाद, फरवरी 19 -- फरीदाबाद, सरसमल। हर साल लगने वाला सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि शिल्पकारों के लिए नए अवसरों का द्वार बन गया है। खासकर टेराकोटा शिल्प में यह बदलाव साफ दिख रहा है। पश्चिम बंगाल के बाद अब फरीदाबाद इस कला का नया केंद्र बनता जा रहा है। शिल्पकारों के लिए यह मेला आर्थिक और सामाजिक बदलाव लेकर आया है। जिससे लोगों की जिंदगी बदल रही है। सूरजकुंड मेले ने प्रेम प्रजापति के खनदान की जिंदगी बदल दी। गांव बड़खल में कभी अकेले चाक चलाने वाले प्रेम अब अपने स्तर पर 10 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। उसके खनदान के करीब 200 लोग इससे जुड़े हैं। वह बताते हैं कि पहले वह किराए के मकान में रहता था, लेकिन मेले में उनकी कला को सराहना मिलने के बाद स्थिति बदल गई। अब वह अपने घर में रहते हैं और अपने तीन बच्चों को वह स्नातक तक पढ़ा चुके...