नई दिल्ली, नवम्बर 28 -- रहीस सिंह, विदेशी मामलों के अध्येता कुछ ही दिनों पहले ब्रिटेन ने लंदन स्थित फलस्तीनी मिशन को दूतावास के रूप में मान्यता दी थी, अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी प्रस्ताव 2803 को स्वीकार कर डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना का समर्थन कर दिया है। इन पहलों को किस रूप में देखा जाना चाहिए? ब्रिटेन से मान्यता मिलने के बाद लंदन में फलस्तीनी ध्वज फहराते वक्त आवाज सुनाई पड़ी थी, 'इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं। फलस्तीन जिंदाबाद!', क्या यह ध्वनि एक व्यावहारिक धरातल हासिल करने जा रही है? या यह एक कहानी का अंत और दूसरी की शुरुआत भर है? क्या वास्तव में फलस्तीन एक 'स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र' बनने की दिशा में बढ़ चला है? ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, कनाडा और फ्रांस जैसे देशों द्वारा पिछले कुछ महीनों में दी गई मान्यताएं फलस्...