नई दिल्ली, मई 8 -- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि परेशान करने वाली कार्यवाही को समाप्त करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। अदालत ने दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने दो अपीलकर्ताओं के खिलाफ शुरू किए गए अभियोजन रद्द कर दिए। इन पर सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला करने का भी आरोप था। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि किसी आरोपी को समन करना एक गंभीर मामला है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को प्रभावित करता है। पीठ ने कहा कि लोगों को बेवजह उत्पीड़न और दुख से बचाने और बेवजह परेशान करने वाली कार्यवाही को समाप्त करने के लिए सीआरपीसी की धारा 482 के तहत न्यायिक हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। सीआरपीसी की धारा 482 हाईकोर्ट की अंतर्निहित शक्...