नई दिल्ली, मई 10 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। पराली को जलाने से रोकने लिए हर खेत की मैपिंग होगी। इसके लिए हर जिले में नोडल अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। इन अफसरों के जिम्मे 50-50 किसानों के खेतों की निगरानी होगी। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पराली के प्रबंधन को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन करने के निर्देश भी शामिल हैं। पंजाब और हरियाणा के खेतों मे धान की फसल को काटने के बाद आमतौर पर उसके बचे-खुचे हिस्से को खेत में ही जलाए जाने का चलन है। बड़े पैमाने पर लगाई जाने वाली इस आग का धुआं पूरे उत्तर भारत में फैल जाता है। खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्र जहां पर प्रदूषण का स्तर पहले ही ज्यादा रहता है, वहां यह धुआं स्थिति और खराब कर देता है। अक्तूबर और नवंबर के महीने में पराली के धुए...