औरैया, अक्टूबर 13 -- औरैया, संवाददाता। जिला कृषि अधिकारी शैलेंद्र कुमार वर्मा ने अवगत कराया कि खरीफ फसलों, विशेषकर धान की कटाई के बाद किसानों द्वारा अज्ञानता वश फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाएं आम हैं। पराली जलाने से वायुमंडल में 3 किग्रा पार्टिकुलेट मैटर, 60 किग्रा कार्बन मोनो ऑक्साइड, 1460 किग्रा कार्बन डाइऑक्साइड और दो किग्रा सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, विशेषकर बच्चों, वृद्धों और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए। साथ ही, यह अन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि यदि एक टन पराली मिट्टी में मिलाई जाए तो इसमें 10-15 किग्रा नाइट्रोजन, 30-40 किग्रा पोटाश, 5-सात किग्रा सल्फर और 600-800 किग्रा ऑर्गेनिक कार्बन मिट्टी में मिल जाता है, जो मिट्टी के स्वास्थ...