बस्ती, मार्च 28 -- बस्ती, निज संवाददाता। रामलीला मैदान में चल रहे संगीतमयी श्रीराम कथा में व्यास पं. स्वरूपानन्द ने कहा कि जब तक ईश्वर से जीव की मैत्री नहीं हो जाती जीवन सफल नहीं होता। साधारण मनुष्य और परमात्मा में यही अन्तर है कि परमात्मा जिसे मारते हैं उसे तारते भी हैं। रावण एक प्रवृत्ति है। उसके अंत के लिये श्रीराम की शरण लेना पड़ता है। कहा कि ईश्वर के साथ दूसरों से प्रेम करना पड़ेगा, तभी ईश्वर प्रसन्न होंगे। मुख्य यजमान अजय सिंह, विभा सिंह पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, राजेश मणि त्रिपाठी, हीरा सिंह, राजेश सिंह, अमरजीत सिंह, हरिओम पांडेय, राम प्रकाश सिंह, अशोक सिंह, हरिशंकर उपाध्याय, रणजीत सिंह, गोरखनाथ सोनी, नीरज गुप्ता, घनश्याम आदि मौजूद रहे।

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