बगहा, अप्रैल 15 -- नरकटियागंज,हिसं। पश्चिम चंपारण जिले के आदिवासी क्षेत्रों में दशकों से सहजन संबंधों को सहेजने का साधन बना हुआ है। वर्षों से इस परंपरा को गौनाहा, मैनाटाड़, रामनगर, वाल्मीकिनगर समेत आदिवासी निभा रहे हैं। अब यह परंपरा जिलेभर के लोग निभाने लगे हैं। जिले के साथ दूसरे जगहों पर रहने वाले सगे-सबंधियों व दोस्तों को सहजन पहुंचा रहे हैं। सहजन के बहाने उनके रिश्तों की डोल मजबूत हो रही है। गौनाहा प्रखंड के आदिवासी क्षेत्र के जमुनिया बाजार के 58 वर्षीय हितेंद्र महतो कहते हैं कि मुझे याद नहीं है कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। मैं खुद बचपन से इस परंपरा को देख रहा हूं। मेरे यहां एक दर्जन से अधिक सहजन के पौधे हैं। सहजन लगते ही उसे तोड़कर सगे संबंधियों के यहां पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। मान्यता है कि आयुर्वेदिक रूप से यह म...