बगहा, अप्रैल 22 -- बगहा। बिहार की प्राचीन कलाओं में से लुप्त होती सिक्की कला बगहा की आदिवासी महिलाओं के प्रयास से अपनी पुरानी रौनक में लौट रही है। सिक्की कला के जरीए वनवर्ती गांवो में रहने वाली आदिवासी इलाके की महिलाएं न सिर्फ अपने सांस्कृतिक विरासत को बचा रही हैं बल्कि इस हुनर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। महिलाओं की माने तो लुप्त होती सीक कला के जरीए आदिवासी महिलाएं अपना तकदीर लिख रही हैं। इनके बनाए उत्पादों की डिमांड विदेश तक है, क्योंकि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों को सिक्की कला के उत्पाद पसंद आते हैं। करीब दो सौ की संख्या में महिलाएं सिक्की कला से मोनी, पोती, झापा, बास्केट, आभूषण, खिलौना, पंखा-चटाई सहित घर में सजावट वाली कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण कर अच्छे से कमा रही हैं। सिक्की कला के माध्यम से ...