नई दिल्ली, अक्टूबर 23 -- जैसा अनुमान था, दीवाली के अगले दिन दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया। यह बताता है कि प्रदूषण अब केवल दिल्ली या उत्तर भारत की समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चुनौती बन चुका है। ग्रीन पटाखों की अवधारणा भले ही पर्यावरण हितैषी बताई जाती हो, किंतु वास्तविकता यही है कि इनके नाम पर पारंपरिक, अधिक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे ही बड़े पैमाने पर जलाए गए। प्रदूषण इन वजहों से ही अधिक फैला। यह सत्य है कि वायु प्रदूषण के कारक केवल पटाखे नहीं होते। इसमें वाहनों का धुआं, निर्माण-कार्य, पराली जलाना और उद्योगों से निकलने वाली गैसें भी शामिल होती हैं। फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि पटाखों से निकलने वाला धुआं दीवाली की रात हवा को विषाक्त बना देता है। दुखद यह है कि इस खतरे की जानकार...