नई दिल्ली, मई 19 -- नई दिल्ली/औहना मुखर्जी। भारत की न्याय व्यवस्था में स्टाफ की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। अदालतों से लेकर पुलिस थानों और जेलों तक हर जगह कर्मचारी कम हैं। इसी कारण मामले लटकते जा रहे हैं, जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ रही है और लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में यह तथ्य सामने आए हैं। जेलों में विचाराधीन कैदियों की भरमार 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश की जेलों में कुल कैदियों में से केवल 23.3% दोषी सिद्ध थे, जबकि 75.8% विचाराधीन थे। यह न्यायालयों में लंबित मामलों की भारी संख्या को दर्शाता है, जो हर वर्ष बढ़ती जा रही है। मानक के अनुसार कर्मी नहीं गृह मंत्रालय के मानकों के अनुसार, हर पुलिस स्टेशन में कम से कम तीन सब-इंस्पेक्टर और दस का...