नई दिल्ली, अक्टूबर 8 -- सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगी कि क्या उन न्यायिक अधिकारियों को बार के लिए निर्धारित रिक्तियों के तहत जिला जज के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, जिन्होंने पीठ में शामिल होने से पहले सात वर्ष तक वकालत कर ली हो। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश, अरविंद कुमार, सतीश चंद्र शर्मा और के विनोद चंद्रन की पीठ ने 3 दिन चली लंबी बहस के बाद 25 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। संविधान पीठ जिला जजों की नियुक्ति से संबंधित संविधान के अनुच्छेद-233 की व्याख्या पर विचार कर रही थी। अनुच्छेद 233 के अनुसार किसी भी राज्य में जिला जज की नियुक्ति, पदस्थापन और पदोन्नति राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय से परामर्श करने का प्रावधान है।

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