सीतापुर राजीव गुप्ता, सितम्बर 7 -- मोक्ष और शांति की तलाश में आए श्रद्धालुओं के लिए नैमिषारण्य तीर्थ इस पितृपक्ष में आस्था का केंद्र बना हुआ है। 'नाभि गया' के नाम से प्रसिद्ध इस प्राचीन तीर्थस्थल पर दूर-दूर से श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्धकर्म और पिंडदान कर रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में यह वही स्थान है, जहाँ 88 हज़ार ऋषियों ने तपस्या की थी। स्कंद पुराण में बताया गया है कि पितृ कार्यों के लिए तीन ही प्रमुख तीर्थ हैं- बद्रीनाथ, गया और नैमिषारण्य। यहाँ पर किया गया श्राद्धकर्म पितरों की क्षुधा शांत करता है और उन्हें बैकुंठधाम का मार्ग दिखाता है। काशीकुंड पर विशेष तर्पण का महत्व पितृपक्ष के दौरान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड सहित नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते...