नवादा, नवम्बर 4 -- नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नेताओं की शैक्षणिक योग्यता भारतीय राजनीति में एक ज्वलंत और बहुचर्चित मुद्दा रहा है। लोकतंत्र में प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं और संविधान उन्हें चुनाव लड़ने के लिए किसी न्यूनतम शैक्षणिक मापदंड से बाध्य नहीं करता। यह तर्क दिया जाता है कि ज्ञान और बुद्धिमत्ता केवल औपचारिक शिक्षा से ही नहीं आती और एक जननेता बनने के लिए जमीनी अनुभव, जनसंपर्क और निर्णय लेने की क्षमता अधिक महत्वपूर्ण है। हालांकि आज के जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत दौर में देश के लिए नीति निर्माण और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संभालने के लिए, एक शिक्षित नेतृत्व की मांग भी जोर पकड़ रही है। समर्थकों का मानना है कि उच्च शिक्षा एक नेता को तार्किक सोच, बेहतर विश्लेषण क्षमता और संवैधानिक व कानूनी समझ प्रदान करती है, जिससे वे जन-समस्याओ...