बांदा, अप्रैल 29 -- बांदा,संवाददाता। आज अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस है। इसको लेकर कलाकारों ने अपना दर्द बयां किया। कलाकारों की माने तो नृत्य एक कला है जो अनंत काल से चली आ रही है। मां सरस्वती की वीणा से उत्पन्न संगीत नाद भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी से संगीत के सात स्वर हम पैराणिक काल से देखते आ रहे हैं। नृत्य विद्या सीखने के लिए तमाम युवा यहां संचालित नृत्य कला गृह और संस्थानों में नृत्य विधा सीख रहे हैं। इनका मानना है कि नृत्य के जरिए जहां मन मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखा जा सकता है। वहीं इनसे भविष्य भी संवारा जा सकता है। नृत्य गुरू श्रद्धा निगम की माने तो उनके नृत्य कला गृह में 20 से अधिक लड़कियां कथक और भरतनाट्यम का गुर सीख रही हैं। बताया कि उनकी खुद की बेटी सनोवर लंदन में इंजीनियर होने के बाद भी कथक सिखा रही है। इधर आर्ट क्राफ्ट स्टूडियो की स...