झांसी, फरवरी 24 -- झांसी (मऊरानीपुर), संवाददाता ग्राम पंचायत घाटकोटरा स्थित प्राचीन कारखदेव मंदिर परिसर में चल रही भागवत कथा पुराण में पं. आनंद भूषण महाराज ने कहा कि किसी के प्रति निस्वार्थ श्रद्धा ही भक्ति है। जिससे ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या का भाव जब हृदय में जागृत हो जाता है तो वही ज्ञान है तथा संसार असार है। उन्होंने कहा कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य को देनेवाली है। यह जानने के पश्चात जो भाव जागृत होते है उसे वैराग्य कहा जाता है। समाज को सिर्फ मौखिक उपदेश देने से परिवर्तन नही होता है हमें अपने कृतित्व से अर्थात करके समाज को दिखाना होगा तभी परिवर्तन सम्भव है। सती चरित्र की कथा में उन्होंने कहा कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। अहंकार के कारण ही प्रजापति दक्ष का शिरच्छेद हुआ था। माताओं बहनों को संदेश देते हुए कहा कि आपने पति साक्षात् शिव ...