वाराणसी, सितम्बर 17 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। जब भक्त कपट, दिखावा और अहंकार का त्याग कर देता है। केवल निष्कपट भाव से भगवान के गुणों का गान करता है। तब प्रभु श्रीराम उसे अपनी भक्ति सुलभ कराते हैं। ये बातें झांसी के कथा प्रवक्ता बालव्यास शशिशेखर ने कहीं। वह भाईजी जयंती महोत्सव के अंतर्गत दुर्गाकुंड स्थित अंध विद्यालय में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन बुधवार को प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संसार के सभी जीवों में ईश्वर को देखना ही समभाव है। जो कुछ भी मिले उसमें संतुष्ट रहना और दूसरों में दोष न देखना, सबके साथ छलहीन और सरल व्यवहार करना ही सच्ची भक्ति है। श्रीराम कथा सुनने से जीवन में सद्भावना आती है। व्यक्ति को सुख और परमानंद की अनुभूति होती है। प्रभु श्रीराम स्वयं कहते हैं कि भक्ति अगर व्यक्ति के जीवन में आ जाए तो वह मुझे अत्यंत प्रि...