लखनऊ, जून 4 -- लखनऊ, संवाददाता। निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी शुक्रवार छह जून को मनायी जाएगी। एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल न ग्रहण करने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते है। महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने बताया कि वर्ष की चौबीस एकादशियों में से ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सर्वोत्तम मानी गयी है। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति सहज ही हो जाती है। इस एकादशी का व्रत करके यथा संभव अन्न, छतरी, पंखी व फल आदि का दान करना चाहिए। भगवान विष्णु की आराधना करानी चाहिए। इसी व्रत को करके भीमसेन ने दस हजार हाथियों का बल प्राप्त कर दुर्योधन के ऊपर विजय प्राप्त की थी।
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