लखनऊ, अक्टूबर 1 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों का प्रस्तावित निजीकरण फैसला निरस्त करने की मांग की है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि उत्तर प्रदेश को दिल्ली और ओडिशा की गलतियां नहीं दोहरानी चाहिए। इससे उपभोक्ता परेशान होंगे। सरकार को नुकसान होगा। कर्मचारियों की छंटनी होगी। उन्होंने कहा कि अभी तो बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट होता है तो उससे बिजली कंपनियों का वास्तविक लेखाजोखा आम हो जाता है। निजीकरण के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और निजी कंपनियां मनमानी करेंगी। उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें महंगी होंगी।

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