गोंडा, अप्रैल 19 -- छपिया, संवाददाता। संतो की संगति और भगवान की भक्ति से राम रतन रूपी धन प्राप्त होता है। यह बात खालेगांव में चल रही ग्यारह दिवसीय रुद्र महायज्ञ एवं श्रीराम कथा व्यास पीठाधीश्वर भुवनेश शास्त्री ने कहा। उन्होंने कहा कि यदि राम के चरित्र को मन में धारण कर लिया जाए तो वही रामचरितमानस है। महाराज मनु और देवी शतरूपा की कथा तथा नारद मोह प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महाराज मनु को चौथेपन में स्मरण हुआ कि बिना भगवत भजन के ये जीवन व्यर्थ जा रहा है। उन्हें आभास हुआ की जब तक भगवान राम के चरणों से अनुराग नहीं होगा। तब तक विषयों से विराग नहीं होगा। उसके बाद राजा ने अपने राज्य का कार्यभार अपने पुत्र को सौंप कर तप के लिए वन में चले गए। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने पुत्र रूप में आने का वचन दिया। मनुष्य को भक्...