गोरखपुर, जुलाई 21 -- गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की स्थापना के समय ही नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए कॉमन एफ्युलंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) का वादा था। अब भी 56 फैक्ट्रियों का कचरा आमी नदी में गिर रहा है, लेकिन सीईटीपी फाइलों में ही कैद है। जल निगम की संतकबीर नगर यूनिट को सीईटीपी की जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन उसके इनकार के बाद सीईटीपी का निर्माण अधर में लटका हुआ है। गीडा में पहले 15 एमएलडी का सीईटीपी प्रस्तावित था। नमामि गंगे योजना से करीब 70 करोड़ रुपये मंजूर भी हो गए। लेकिन स्थापना को लेकर अड़चन सामने आ रही है। लागत अधिक होने के साथ ही संचालन के खर्च को देखते हुए प्रदूषण विभाग की तरफ से ऐसी यूनिटों को चिह्नित किया गया, जहां का कचरा आमी नदी में गिरता है। विभाग ने 56 यूनिटों को चिह्नति किया है। जल...