कौशाम्बी, नवम्बर 10 -- सिराथू के बम्हरौली गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को कथा व्यास ने कृष्ण जन्म, बलि चरित्र के साथ समुद्र मंथन का भाव पूर्ण वर्णन किया। कृष्ण जन्म होते ही बधाई गीत गूंज उठे। जय श्री कृष्ण के जयकारे से कथा स्थल गुंजायमान हो उठा। हर भी नटखट कन्हैया की भक्ति में रंग गया। ताली बजाते हुए श्रद्धालु झूम उठे। कथाव्यास डॉ. विशुद्धानंद ने श्रोताओं को श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराया। कहा कि समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त करने के लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकि नाग को रस्सी बनाया। मंथन से सर्वप्रथम हलाहल विष निकला, जिसे शिव ने धारण किया, फिर अन्य चौदह रत्न निकले। राजा बलि ने देवराज इन्द्र से समझौते के बाद मंथन में भाग लिया। राजा बलि ने दान के रूप में तीनों लोकों को तीन पगों में दा...