वाराणसी, जून 17 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। प्रख्यात लेखक शरद जोशी का नाटक 'एक था गधा उर्फ अलादाद खान क्यों सार्वकालिक है इसका प्रमाण सोमवार को काशी के रंगदर्शकों ने देखा। सामाजिक, राजनीतिक विकटताओं और विरोधाभास के इर्द-गिर्द घूमते नाटक में किए गए कटाक्ष की प्रासंगिता निर्देशकीय कौशल से और बढ़ गई। पुराने नाटक में नए बिंबों का समावेश कर इसे अधिक प्रभावी बना दिया गया। इंग्लिशिया लाइन स्थित भारतीय शिक्षा मंदिर के सभागार में सोमवार को मंचित नाटक में सत्ताधारियों की ओर से सस्ती लोकप्रियता के लिए महंगे दिखावे, नौकरी में उन्नति के लिए चमचागीरी की अनिवार्यता, समाज को नियंत्रित करने वाले तंत्रों में समाए भ्रष्टाचार से सत्तावान द्वारा झूठ को सच बनाकर पेश करने की प्रवृत्ति। इस नाटक में सबको जीवंतता मिली। बनारस यूथ थिएटर एवं रंग प्रयोग नाट्य संस्थान...