नई दिल्ली, मई 27 -- दस महाविद्याओं में सातवीं महाविद्या धूमावती माता हैं। इनकी जयंती ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। ऋग्वेद में मां सती के धूमावती रूप को सुतरा कहा गया है। मां धूमावती के कुछ अन्य नामों में ज्येष्ठा, अलक्ष्मी और निर्ऋति भी हैं। मां के इस स्वरूप की दो भुजाएं हैं, जिसमें एक हाथ में सूप तथा दूसरा हाथ वरदान मुद्रा में है या ज्ञान प्रदायनी मुद्रा में है। मां का यह स्वरूप विधवा, कुरूप, खुले हुए केश, दुबली-पतली, सफेद साड़ी पहने हुए बिना अश्व के रथ पर सवार हैं, जिसके शीर्ष पर ध्वज एवं प्रतीक के रूप में कौआ विराजमान रहता है। इनके इस नामकरण के पीछे एक कथा है। कहा जाता है कि एक बार सती के पिता राजा दक्ष ने अपने यहां एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इस आयोजन में उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया लेकिन राजा दक्ष...