बहराइच, जुलाई 29 -- तेजवापुर। ब्लॉक क्षेत्र के भिरवा टेपरा स्थित एक स्थान पर श्रीमद् भागवत कथा चल रही है। दूसरे दिन प्रवाचक रमेश गिरि महाराज ने धुंधकारी व गोकर्ण की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि दक्षिण दिशा में त्वंगभद्रा नदी के तट पर बसे उत्तमनगर के ब्रह्मण आत्मदेव की धर्मपत्नी धुंधली कर्कशा नारी थी। पति से झूंठ व छल-कपट की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। पुत्र प्राप्ति के लिए आत्मदेव को एक त्रिकाल दर्शी सन्यासी ने फल दिया था कि वह अपनी पत्नी को खला दे, लेकिन पत्नी ने ये फल एक गाय बांझ को खिला दिया। परिणाम स्वरूप धुंधकारी जैसा पापाचारी पुत्र मिला। गलत संगत में आने के कारण उसने मां को मार डाला। वहीं उस फल के प्रभाव से जन्में गोपुत्र गोकर्ण का आचरण सदाचारी था। आचार्य संतोष पाठक, श्यामू तिवारी, गोमती प्रसाद तिवारी, प्रमोद कुमार तिवारी, देश...