गंगापार, जुलाई 17 -- बीस जून के बाद मानसून ने जब से दस्तक दिया कुछ अंतराल पर बरसात लगातार होती रही। सिंचाई विभाग की सुखी नहरों का आंशिक असर रहा। किसानों को जहां आठ घंटे दस घंटे पानी खरीदना पड़ता था वहीं बरसात के बाद दो घंटे तीन घंटे ही धान की रोपाई के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है। अब जब धान की रोपाई अन्तिम दौर में है बुधवार शाम से हो रही बरसात धान के किसानों के लिए अमृत से कम नहीं है। सिंगारामऊ के किसान राधेश्याम पांडेय, रुदापुर के अमित यादव, बाबूगंज राजकुमार पटेल आदि ने बताया कि ये बरसात धान की फसल के लिए सोना बरस रहा है। ऐसी बरसात में धान की फसल शाम को कुछ दिखेगी और सुबह बढ़िया परिवर्तन दिखेगा। उनका कहना है कि इसी बरसात होती रहेगी तो फसल में खाद की जरूरत भी आधा हो जाएगा। नकदी फसलों में जो लतर वाली सब्जियां जैसे नेनुआ, लौकी, करेला, चिचिंडा...
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