फरीदाबाद, अप्रैल 14 -- पलवल। फसल अवशेष प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए उपायुक्त डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ ने किसानों से अपील की है कि वे धान की लंबी अवधि वाली किस्म पूसा-44 की बजाय कम अवधि में पकने वाली किस्मों को अपनाएं। उपायुक्त ने कहा कि राज्य सरकार और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को जागरूक करने में जुटे हैं ताकि वे फसल कटाई के बाद खेतों को खाली करने के लिए अधिक समय प्राप्त कर सकें और पराली जलाने की नौबत न आए। उन्होंने बताया कि सीएक्यूएम की सिफारिश पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित कम अवधि में पकने वाली किस्मों को एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में अपनाने की सलाह दी गई है। किसानों को सलाह दी गई है कि वे सीओ-51, डीआरआर-52, डीआरआर-56, एचकेआर-48, एनपी-107-5, चंद्रा, पीआर-126, पूसा बासमती-1509, पूसा बासमती-1692 व पूस...