गंगापार, अक्टूबर 29 -- धान की अच्छी फसल देखकर किसान गदगद था, लेकिन बदले मौसम बूंदाबांदी और तेज हवाओं के कारण जिन फसलों में अभी बालियां लग रही थी और कुछ पकने की कगार पर थी वह सभी गिर गई हैं और धान की फसलों के सड़ने का डर बन गया है। किसानों का मानना है धान की फसलों में अभी पानी होने के कारण फसलें पानी में डूब सकती हैं जिसके चलते सड़ना निश्चित है। यदि अभी और कुछ दिनों तक ऐसी ही तेज हवाएं चलती रही तो फसलों का उत्पादन आधा हो सकता है। तहसील क्षेत्र मे लगभग 40 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में धान की खेती की गई है जिनमे लगभग 28 हजार हैक्टेयर लापर क्षेत्र आता है जिसमें लेट वैरायटी की कावेरी प्रजाति की धाम की खेती बहुतायत की जाती है जिसके पकने में 150 से 155 दिन लग जाते हैं। जिन किसानों ने जुलाई शुरू होते ही रोपाई कर ली थी उनके भी फसलें 10 नवंबर...
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