गंगापार, अक्टूबर 10 -- भगवान् श्री राम द्वारा स्वयंबर में रखे धनुष तोड़े जाने के बाद पंडाल में जय श्री राम के नारे लगने लगे। खुशी के दौरान ही परसुराम के आ जाने से दुष्ट राजाओं में खुशी छा गयी, लेकिन अंततः भगवान् श्री राम को पहचान कर परसुराम के लौट जाने के बाद सीता का धूमधाम से भगवान् श्री राम जी से विवाह हुआ। मांडा क्षेत्र के धराव गजपति गांव मे आयोजित रामलीला में धनुष यज्ञ व राम विवाह की लीला का मंचन गुरुवार रात किया गया। रावण-बाणासुर सहित तमाम राजा धनुष भंग करने का प्रयास किया गया, लेकिन सभी के असफल होने पर राजा जनक ने सारे राजाओं को बलहीन कहा, जिससे लक्ष्मण जी क्रोधित हुए और महर्षि विश्वामित्र ने भगवान् श्री राम को धनुष भंग करने का निर्देश दिया। भगवान् श्रीराम द्वारा शिव पिनाक भंग किये जाने के बाद पूरा पंडाल जय श्रीराम के जयकारे से गूंज...