पीलीभीत, जून 25 -- अजय शमशा और अशोक शमसा सगे भाई हैं। सरकार ने दोनों को ही आपातकाल की गतिविधियों में पकड़ा था। पर अशोक शमसा बताते हैं कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष नहीं सरकार से थी। यही बात हर आम आदमी को पता था। पुलिस और सब जानते थे कि यह आपातकाल में गलत हो रहा है। एक दिन जब जेल में हमारे लिए ऑर्डर हुआ कि आंखों की रोशनी दिखाने जा सकते हैं तो तांगे वाला पुलिस कर्मियों के इशारे पर बाहरी हिस्से से सीतापुर अस्पताल ले जा रहा था। पर हमने आग्रह कि चालक साहब शहर के अंदर से ले चलिए। आंखें थोड़ा बस्ती देख देख लेंगी। तो पुलिस वालों ने इनकार नहीं किया। हम बस्ती से होते हुए सीतापुर अस्पताल पहुंचे और आंख चेक करा कर जेल लौटे। आज अलग अलग दो कार्यक्रमों का आयोजन आपातकाल की बरसी पर जिले में काला दिवस मनाया जाएगा। लेाकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन और भाजपा क...
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