नई दिल्ली, सितम्बर 25 -- देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (Ex CJI) जस्टिस यू यू ललित ने ब्रिटिश काल से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लाए गए नए भारतीय न्याय संहिता (BNS)-2023 के तहत सामुदायिक सेवा की सजा देने के दिशा-निर्देशों में कमी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि नए BNS में सामुदायिक सजा देने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं। नया BNS पिछले साल एक जुलाई, 2024 से लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना और अपराधों के खिलाफ त्वरित और कुशल न्याय उपलब्ध कराना है। 'सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन' द्वारा आयोजित "बीएनएस 2023 और आईपीसी 1860: निरंतरता, परिवर्तन और चुनौतियाँ" विषय पर एक व्याख्यान देते हुए जस्टिस ललित ने कहा कि BNS की धारा 356(2) के तहत मानहानि के लिए दो साल तक की कैद या जुर्माना या द...