हरिद्वार, सितम्बर 17 -- देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एवं गायत्री तीर्थ शांतिकुंज परिसर में बुधवार को सृष्टि के प्रथम अभियंता और सृजनशीलता के देवता भगवान विश्वकर्मा जयंती उल्लासपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों, आचार्यों और वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना कर भगवान विश्वकर्मा के आदर्शों को स्मरण किया। कार्यक्रम में पुस्तक, पैमाना, जलपात्र जैसे सृजन के अनिवार्य उपकरणों को भगवान विश्वकर्मा के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी समेत वरिष्ठजनों ने समाज के नवनिर्माण और रचनात्मकता के संवर्धन की प्रार्थना की।
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