वाराणसी, दिसम्बर 2 -- वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। वैज्ञानिक डॉ. सौम्या दत्ता ने कहा कि पर्यावरण संकट राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। पानी के निजीकरण पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इसका अर्थ गरीबों से प्राकृतिक संसाधन छीन लेना है। उनके अनुसार देश की करीब 30 फीसदी जमीन मरुस्थलीकरण की ओर बढ़ रही है, जिसका सीधा कारण पानी का अंधाधुंध दोहन है। तेलियाबाग स्थित पटेल धर्मशाला में मंगलवार को संस्था क्लीन फॉर एयर की दसवीं वर्षगांठ और भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ. दत्ता ने कहा कि केवल पेड़ लगाना पर्यावरण संतुलन का समाधान नहीं है। उन्होंने बताया कि बीते 20 वर्षों में समुद्री तूफानों में 83% वृद्धि हुई है। गांधीवादी हिमांशु कुमार ने आधुनिक सभ्यता को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया। सोनभद्र के पर्यावरण कार्यकर्ता जगतनारायण विश...
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