मुरादाबाद, मार्च 23 -- रविवार को माहे रमजान का बाईसवां रोजा, तेईसवीं शब और दूसरी ताक रात रही। इसमें लोग ईशा की नमाज के बाद से ही इबादत में जुट गए। देर रात तक इबादत कर शब ए कद्र की तलाश करने का प्रयास किया। लोगों ने बताया कि सुबह सहरी तक इबादत करते रहेंगे। मौलाना ने ताक रात की फजीलत बयान की। रविवार को 22वां रोजा और 23 वीं शब रही। इसके साथ ही दूसरी ताक रात रही। महिलाएं भी घर में ही एतिकाफ में बैठीं। उन्होंने यह सिलसिला ईशा की नमाज के बाद ही शुरू कर दिया। उधर न्यारी मस्जिद के मौलाना तअव्वुर हुसैन ने कहा कि शब-ए-कद्र की रात अल्लाह अपने बंदों के लिए जहन्नुम के दरबाजे बंद कर जन्नत के दरबाजे खोल देता है। यह शब ए कद्र इस आखिरी अशरे 'जहन्नुम से निजातमें पांच में से कोई एक रात होती है। इसीलिए मुसलमान सभी पांच ताक रातों को शब ए क्रद की तलाश करते हैं...