नई दिल्ली, जुलाई 23 -- सुप्रीम कोर्ट ने 1988 में एक किशोरी से दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए व्यक्ति के अपराध के समय नाबालिग होने की बात सामने आने के बाद उसकी जेल की सजा बुधवार को रद्द कर दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने उक्त व्यक्ति की दोषसिद्धि बरकरार रखी। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति ने अपराध के समय नाबालिग होने का दावा किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर के जिला एवं सेशन जज को उसके दावों की जांच करने का निर्देश दिया। जांच रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा कि अपराध की तिथि यानी 17 नवंबर 1988 को आरोपी की उम्र 16 साल, दो महीने और तीन दिन थी। उसने कहा कि अपीलकर्ता अपराध के समय नाबालिग था। इसमें कहा गया कि शीर्ष अदालत के निर्णयों में स्पष्ट रूप से...