मुजफ्फर नगर, अगस्त 6 -- जयपुर के कीर्ति नगर में आयोजित हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी में मौजूद आराधक आदित्य सागर महाराज ने कहा कि निश्छल निर्मल, अकृत्रिम वात्सल्य प्रेम दुर्लभ होता जा रहा है। वात्सल्य भाव, वात्सल्य प्रेम वात्सल्य सद्भावना वात्सल्य अंग और वात्सल्य भावना यह शब्द पढ़ने लिखने में तो आ रहे हैं । व्यवहार में गम होते जा रहे हैं । आपसी मेलजोल शुभकामनाएं ,गले मिलना, हाथ जोड़ना आदि वात्सल्यप ने का कितना हम उपक्रम करते हैं, वास्तव में हम कौन सा मुखौटा लगाए हुए हैं यह सभी जानते हैं। हम सब अकारण ही दुखी होते हैं दूसरों की खुशी, विकास उन्नति हमें अच्छी नहीं लगती। खतौली की प्रसिद्ध लेखिका डा. ज्योति जैन ने भी इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया और वात्सल्य प्रवचन भावना पर एक शोध पत्र पढा। पूज्य श्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया और कहा कि धर्म क...
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